आर्थिक विकास की प्रक्रिया में संचार के साधनों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। भारत में डाक तथा टेलीफोन सेवाएं संचार के प्रमुख साधन हैं डाक सेवाएं: भारत में डाक सेवाओं को जन-साधारण के लिए 1837 में खोला गया था।
• भारतीय डाक टिकट 1852 में कराची (अब पाकिस्तान में) में जारी की गई थी।
• भारतीय डाक विभाग को 1854 में एक संस्था के रूप में मान्यता दी गई और उस समय 700 डाकघर पहले से कार्य कर रहे थे।
• भारतीय डाक नेटवर्क विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है जिसके अंतर्गत लगभग 1,55,000 डाकघर हैं जिनमें से 139,100 से अधिक डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में तथा शेष लगभग 15,000 शहरी क्षेत्रों में हैं।
भारतीय डाक प्रणाली में दक्षता सुधार के लिए आधुनिक उपग्रह तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है। देश के विभिन्न डाकघरों में उच्च गति के वैरी स्माल अपर्चर टर्मिनल (वी-सैट) का नेटवर्क उपयोग में लाया जा रहा है। विभाग के निजी नेटवर्क में 227 वी-सैट स्टेशनों और 1350 विस्तारित स्टेशल हैं। यह प्रणाली देश के दूरस्थ भागों में मनीआर्डर पहुंचाने के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं।
• डाक प्रणाली द्वारा मनीऑर्डर सेवा 1880 में आरंभ की गई थी। मनीऑर्डर सेवा के माध्यम से 5000 रु. तक की रकम एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जा सकती है।
डाक विभाग में स्वाचालित डाक प्रोसेसिंग केंद्र चेन्नई और मुंबई में कार्यशील हैं। इस तकनीक का उपयोग दिल्ली और कोलकाता में भी आरंभ किया जा रहा है। डाकघरों के कंप्यूटरीकरण में भी तेजी लाई जा रही है। देश में 800 से अधिक मुख्य डाकघरों तथा 1500 से अधिक उप-डाकघरों को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है। • डाक विभाग सभी डाकघरों का डिजीटलीकरण कर रहा है।
• डाक विभाग ने एक नई डाक सेवा आरंभ की है, जिसे ई-पोस्ट कहा जाता है।
डाक विभाग ने जन-साधारण की सुविधा के लिए एक और सेवा, ई-बिल पोस्ट, भी आरंभ की है। यह एक वेब-आधारित सुविधा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने वाली निजी तथा सरकारी एजेंसियों के बिलों के आंकड़े डाकघरों के काउंटरों पर इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध रहते हैं।
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